हमारे देश में हर साल नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता हैं।नवरात्रि के त्यौहार में माता जी की 9 दिन पूजा जाती है। और दसवें दिन दशहरा का त्यौहार मनाते है। जिसमे रावण का पुतला बनाकर उसे जलाया जाता हैं। आपको दशहरा (Dussehra) का एक फैक्ट बताएँगे। इसलिए पूरा आर्टिकल जरूर पढ़े। Dussehra
हम आपको इस आर्टिकल में रावण की एक कहानी को बताएँगे। जब रावण के 99 पुत्रो की युद्ध में मृत्यु हो गई, तब एक मात्र पुत्र मेघनाथ बचे थे। फिर उन्होंने युद्ध में जाने का फैसला किया। क्या आपको पता है मेघनाथ ने एक बार युद्ध में इंद्र देव को भी परास्त कर दिया था। तब से मेघनाथ का नाम इंद्रजीत के नाम से बुलाया जाने लगा। इंद्रजीत ने पहले ही दिन युद्ध में श्री. राम के भाई लक्ष्मण को नाग बाण से बेहोश कर दिया। फिर जब लक्ष्मण जी ने इंद्रजीत को युद्ध में मार दिया। तब रावण को भी पता चल गया था कि उसके 100 पुत्रो की हत्या हो चुकी है। और उसकी मृत्यु भी अब निश्चित हैं। फिर भी उसने युद्ध भूमि में जाने का फैसला लिया। रावण ने युद्ध में बहुत ताकत के साथ युद्ध किया। Dussehra
वहाँ युद्ध भूमि में श्री राम रावण के सर काटते रहे और रावण के एक के बाद एक सर निकलते रहे। क्युकी रावण के 10 मुख थे। इसलिए रावण को दशानंद भी कहते है। रावण को अमर रहने काअमृत प्राप्त था। और अमृत उसके नाभि में था। रावण को मारने के लिए पहले उसके नाभि में मारकर उसके अमृत को खत्म करना होगा। ये राज सिर्फ कुम्भकर्ण और विभीषण को पता थी। कुम्भकर्ण की मृत्यु हो गई थी। और विभीषण तो श्री राम के पक्ष में चला गया था।
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उसी ने श्री राम को सब बताया तभी रावण की मृत्यु हो पाई। जब रावण की मृत्यु हुई तो उससे पहले रावण ने श्री राम। इससे हमें बहुत कुछ जैसे कि जब रावण के सभी 100 पुत्रो की मृत्यु हो गई। तो रावण को पता था कि अब उसकी भी मृत्यू निश्चित है। उसके पास मौका था कि देवी सीता को वापस भेज कर वो बच सकता था। लेकिन उसने युद्ध करने का फैसला किया। Dussehra…..
जब श्री राम समुन्द्र किनारे पहुंचे और समुन्द्र पार करने के लिए उनके दो वानर सेनापति “नल” और “नील” ने पत्थरों पर श्री राम लिख कर समुन्द्र में फेकना शुरू किया। और पत्थर पानी में तैरने लगे। इसपर लंका के लोगो में हाहाकार मच गया की ये श्री राम तो मायावी है। इसपर रावण ने कहा ये तो कोई भी कर सकता हैं। उसने समुन्द्र पर सबको बुलाया और एक पत्थर पर रावण लिखा और पानी में फेका तो वह पत्थर भी तैरने लगा। इसे देख जनता खुश हो गई। कि हमारे राजा भी बलवान हैं। रात में कक्ष में रावण की पत्नी मंदोदरी ने रावण से पूछा। हे लंका पति आप अपने नाम का पत्थर पानी में फेकने पर वो तैर नहीं सकता इतना तो मुझे पता है। तो आपने ये किया कैसे कृपया हमें ये बताए। तभी रावण ने कहा मैंने पत्थर पर अपना नाम लिखा और उस पत्थर को कहा कि श्री. राम की सौगंध अगर तू दुब गया तो। रावण 28,800 वर्षों तक राज किया था। और भगवान श्री. राम ने अयोध्या में करीब 11,000 वर्षों तक राज किया था। आपको बता दें कि रावण एक बहुत ही ज्ञानी था।
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